tag:blogger.com,1999:blog-4781064014320594643.post4187806313417838774..comments2023-06-01T08:50:29.624-07:00Comments on <b>हर्फ़-ए-ग़लत</b> <sub> (उम्मी का कलाम)</sub>: क़ुरआन- सूरह इब्राहीम- १४Mominhttp://www.blogger.com/profile/13659678910897680043noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4781064014320594643.post-41974888759284592312010-08-20T01:12:21.916-07:002010-08-20T01:12:21.916-07:00जमाल -- सुरेन्द्र कुमार शर्मा के अनुवाद को कौन हिन...जमाल -- सुरेन्द्र कुमार शर्मा के अनुवाद को कौन हिन्दू मानता है, ये सुरेन्द्र कुमार शर्मा जैसे लोग तुम्हारे जैसे ही भडवे हैं या फिर मुर्ख लोग हैं.<br />तुम लोग एक तरफ दुनिया में आतंकवाद फैला रहे हो और दूसरी तरफ अमन-शान्ति की बात करते हो . एक तरफ कुरान के अनुसार वेदों की तारीफ करते हो और दूसरी तरफ जगह-२ वेदों की बुराई. तुम्हरी इन हरामी चालों में कोई नहीं आने वाला. तुम हरामी जेहादी कुत्ते हो जिनको गोली मार देनी चाहिये.अनवर जमाल के पिछवाड़े में से धुआं निकलाhttp://harf-e-galat.blogspot.com/2010/05/blog-post_29.htmlnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4781064014320594643.post-86915300212456246792010-05-29T22:07:49.862-07:002010-05-29T22:07:49.862-07:00तुम्हारे पहले पैराग्राफ का ही एक एक शब्द झूठ और सि...तुम्हारे पहले पैराग्राफ का ही एक एक शब्द झूठ और सिर्फ झूठ है,<br />हज़रत इब्राहिम अपने ही मुल्क में थे और पूरी तरह खुशहाल थे, उस समय नमरूद नामक फिरअना (बादशाह) की वहाँ हुकूमत थी जिसने अपने को खुदा घोषित कर रखा था जब इब्राहीम ने उसका विरोध किया तो उसने उन्हें आग में फिंकवाया, लेकिन अल्लाह ने आग को ठंडी होने का हुक्म देकर इब्राहिम को बचा लिया. जब नमरूद की हज़रत इब्राहिम पर नहीं चली तो उसने उन्हें देश निकाला दे दिया. हज़रत इब्राहिम दूसरे मुल्क पहुंचे जहां का बादशाह फिरअना नहीं था बल्कि एक मामूली बादशाह था. उसकी हज़रत सारा पर नज़र टेढ़ी हुई हज़रत इब्राहिम ने उसे बताया की वो उनकी बीवी हैं लेकिन वह नहीं माना तब हज़रत इब्राहिम ने अल्लाह से दुआ की और उसका हाथ अकड़ गया. यह देखकर वह डर गया और एक कनीज़ हज़रत हाजिरा को हज़रत सारा की खिदमत में पेश किया. हज़रत इब्राहिम ने हज़रत हाजिरा से शादी की जिनसे हज़रत इस्माइल पैदा हुए. जबकि हज़रत सारा से बाद में हज़रत इसहाक हुए.<br />हज़रत इब्राहिम ने हज़रत इसहाक की कुर्बानी नहीं दी थी बल्कि हज़रत इस्माइल की देने जा रहे थे जब अल्लाह ने जन्नत से उनकी जगह दुंबा भेज दिया था.<br />हज़रत इब्राहिम या किसी नबी ने कभी झूठ नहीं बोला, झूठे तुम जैसे मोमिन का लबादा पहने शैतान ही बोला करते हैं. पहले नबियों का सही इतिहास पढो फिर कलम चलाने की जुर्रत करो.zeashan haider zaidihttps://www.blogger.com/profile/16283045525932472056noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4781064014320594643.post-75702896543930907642010-05-29T09:46:01.550-07:002010-05-29T09:46:01.550-07:00पोल खोलती जानकारीपोल खोलती जानकारीAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/02964602014678479457noreply@blogger.com