Tuesday, 13 July 2010

क़ुरआन सूरह मरियम १९


मेरी तहरीर में - - -


क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस)

मुसम्मी '' हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी'' का है,

हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,

तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है

ऐ खुदा!


(तीसरी किस्त)
ऐ खुदा! तू खुद से पैदा हुवा,

ऐसा बुजुर्गों का कहना है।

तू है भी या नहीं? ये मेरा जेहनी तजस्सुस और कशमकश है।

दिल कहता है तू है ज़रूर कुछ न कुछ. ब्रहमांड को भेदने वाला,

हमारी ज़मीन की ही तरह लाखों असंख्य ज़मीनों को पैदा करके उनका संचालन करने वाला,

क्या तू इस ज़मीन पर बसने वाले मानव जाति की खबर भी रखता है?

तेरे पास दिल, दिमाग, हाथ पाँव, कान नाक, पर,सींग और एहसासात हैं क्या?

या इन तमाम बातों से तू लातअल्लुक़ है?

तेरे नाम के मंदिर, मस्जिद,गिरजे और तीरथ बना लिए गए हैं,

धार्मों का माया जाल फैला हुवा है, सब दावा करते हैं कि वह तुझसे मुस्तनद हैं,

इंसानी फ़ितरत ने अपने स्वार्थ के लिए मानव को जातियों में बाँट रख्खा है,

तेरी धरती से निकलने वाले धन दौलत को अपनी आर्थिक तिकड़में भिड़ा कर ज़हीन लोग अपने कब्जे में किए हुवे हैं।

दूसरी तरफ मानव दाने दाने का मोहताज हो रहा है।

कहते हैं सब भाग्य लिखा हुआ है जिसको भगवान ने लिखा है।

क्या तू ऐसा ही कोई खुदा है?

सबसे ज्यादह भारत भूमि इन हाथ कंडों का शिकार है।

इन पाखंडियों द्वरा गढ़े गए तेरे अस्तित्व को मैं नकारता हूँ.
तेरी तरह ही हम और इस धरती के सभी जीव भी अगर खुद से पैदा हुए हें,

तो सब खुदा हुए?

त्तभी तो तेरे कुछ जिज्ञासू कहते हैं,

''कण कण में भगवन ''

मैं ने जो महसूस किया है, वह ये कि तू बड़ा कारीगर है।

तूने कायनात को एक सिस्टम दे दिया है,

एक फार्मूला सच्चाई का २+२=४ का सदाक़त और सत्य,

कर्म और कर्म फल,

इसी धुरी पर संसार को नचा दिया है कि धरती अपने मदार पर घूम रही है।

तू ऐसा बाप है जो अपने बेटे को कुश्ती के दाँव पेंच सिखलाता है,

खुद उससे लड़ कर,

चाहता है कि मेरा बेटा मुझे परास्त कर दे।

तू अपने बेटे को गाली भी दे देता है,

ये कहते हुए कि ''अगर मेरी औलाद है तो मुझे चित करके दिखला'',

बेटा जब गैरत में आकर बाप को चित कर देता है,

तब तू मुस्कुराता है और शाबाश कहता है।

प्रकृति पर विजय पाना ही मानव का लक्ष है,

उसको पूजना नहीं.
मेरा खुदा कहता है तुम मुझे हल हथौड़ा लेकर तलाश करो,

माला लेकर नहीं।

तुम खोजी हो तो एक दिन वह सब पा जाओगे जिसकी तुम कल्पना करते हो,

तुम एक एक इंच ज़मीन के लिए लड़ते हो,

मैं तुम को एक एक नक्षत्र रहने के लिए दूँगा।

तुम लम्बी उम्र की तमन्ना करते हो,

मैं तुमको मरने ही नहीं दूँगा जब तक तुम न,

तुम तंदुरस्ती की आरज़ू करते हो,

मैं तुमको सदा जवान रहने का वरदान दूंगा,

शर्त है कि,

मेरे छुपे हुए राज़ो-नियाज़ को तलाशने की जद्दो-जेहाद करो,

मुझे मत तलाशो,

मेरी लगी हुई इन रूहानी दूकानों पर तुम को अफीमी नशा के सिवा कुछ न मिलेगा।

तुम जा रहे हो किधर ? सोचो,

पश्चिम जागृत हो चुका है. वह आन्तरिक्ष में आशियाना बना रहा है,

तुम आध्यात्म के बरगद के साए में बैठे पूजा पाठ और नमाज़ों में मग्न हो।

जागृत लोग नक्षर में चले जाएँगे तुम तकते रह जाओगे,

तुमको बनी ले जाएंगे साथ साथ,

मगर अपना गुलाम बना कर,

जागो, मोमिन सभी को जगा रहा है।

सूरह मरियम १९


'इस किताब में मूसा का भी ज़िक्र करिए. वह बिला शुबहा अल्लाह के खास किए हुए थे. और वह रसूल भी थे और नबी भी थे और हमने उनको तूर की दाहिनी जानिब से आवाज़ दी और हमने उनको राज़ की बातें करने के लिए मुक़र्रिब बनाया और उनको हमने अपनी रहमत से उनके भाई हारुन को नबी बना कर अता किया''
सूरह मरियम १९-१६ वाँ पारा- आयत(५०-५३)
''और इस किताब में इस्माईल का ज़िक्र कीजिए, बिला शुबहा वह बड़े सच्चे थे, वह रसूल भी थे और नबी भी और अपने मुतअलिकीन को नमाज़ और ज़कात का हुक्म किया करते थे और वह अपने परवर दिगार के नजदीक पसंद दीदा थे.''
सूरह मरियम १९-१६ वाँ पारा- आयत(५४-५५)
''और इस किताब में इदरीस का भी ज़िक्र कर दीजिए. बेशक वह बड़े रास्ती वाले थे और हमने उनको बुलंद मर्तबा तक पहुँचाया. ये वह लोग हैं जिन को अल्लाह ने खास इनआम अता फ़रमाया. . . .जब उनके सामने रहमान की आयतें पढ़ी जातीं तो सजदा करते हुए और रोते हुए गिर जाते थे - - -''
सूरह मरियम १९-१६ वाँ पारा- आयत(५७-६०)
मुसलमानों ! इन आयतों को बार बार पढ़िए. ये हिंदी में हैं अक़ीदत की ऐनक उतर कर, कोई गुनाह नहीं पड़ेगा. मुझ से नहीं, अपने आप से लड़िये अपने तह्तुत ज़मीर को जगाइए, अपने बच्चों के मुस्तकबिल को पेशे नज़र रख कर, फिर तय कीजिए कि क्या यह हक बजानिब बातें हैं? अगर आप जग गए हों तो दूसरों को जगाइए, खुद पार हुए तो ये काफी नहीं, औरों को पार जगाइए. यही बड़ा कारे ख़ैर है. इसलाम यहूदियत का उतरन है जिनसे आप नफ़रत करते हैं, मगर उसी से लैस हैं. वाकई यहूदी नस्ली तौर पर खुद को बरतर मानते हैं. दीगरों के लिए कोई बुरा फेल उनके लिए गुनाह नहीं होता. मूसा इंसानी तारीख में अपने ज़माने का हिटलर हुआ करता था. शायद हिटलर ने मूसा को अच्छी तरह समझा और यहूदियों को नेस्त नाबूद करना नेस्त नाबूद करना चाहा । मुसलमानों के लिए इन्तेकामन कई हिटलर पैदा हो चुके हैं मगर नई क़द्रें उनके पैरों में human right की ज़ंजीर डाले हुए हैं, अगर कहीं इस कौम में ज़्यादः तालिबानियत का उबाल आया तो यह जंजीरें पिघल जाएँगी. कहर ए हिटलर इस बार क़ुरआनी आयतों पर और इनके मानने वालों पर टूटेगा. यह हराम जादे ओलिमा ऐंड कंपनी आपको आज भी गुमराह किए हुए हैं कि इस्लाम अमरीका और योरोप में सुर्खुरू हो रहा है. एक ही रास्ता है कि इस्लाम से तौबा करके एलान के साथ एक सच्चे मोमिन बन जाओ. मोमिन बनना ज़रा मुश्किक अमल है मगर जिस दिन आप मोमिन बन जाएँगे जिंदगी बहुत बे बोझ हो जाएगी.


''इस जन्नत में वह लोग कोई फुजूल बात न सुन पाएँगे, बजुज़ सलाम के. और उनको उनका खाना सुब्ह शाम मिला करेगा। ये जन्नत ऐसी है कि हम अपने बन्दों में से इस का मालिक ऐसे लोगों को बना देंगे जो खुदा से डरने वाले हों. और हम बगैर आप के रब हुक्म वक्तन फवक्तन नहीं आ सकते. उसी की हैं हमारे आगे की सब चीजें और हमारे पीछे की सब चीजें और जो चीजें उनके दरमियान में हैं. और आप का रब भूलने वाला नहीं. वह रब है आसमानों और ज़मीन का और जो कुछ इन के दरमियान में हैं सो ऐ ! तू इसकी इबादत किया कर और उसकी इबादत पर कायम रह. भला तू किसी को इसका हम सिफ़त मानता है?
सूरह मरियम १९-१६ वाँ पारा- आयत(६१-६५)
ऐसी जन्नत पर फिटकर है जहाँ बात चीत न हो, कोई मशगला न हो, फ़न ए लतीफा न हो, शेरो शाइरी न हो, बस सलाम ओ वालेकुम सलाम, सलाम ओ वालेकुम सलाम? कैदियों की तरह सुब्ह शाम खाने की मोहताजी, वहां भी हमीं में से दरोगा बनाया जायगा, गोया वहां भी मातहती ? कौन किसके हुक्म से वक्तन फवक्तन नहीं आ सकेगा? अल्लाह ने मुल्लाओं को समझ दी है कि इन बातों का मतलब समझाएं. भला कौन सी चीजें होती है '' आगे की सब चीजें और हमारे पीछे की सब चीजें और जो चीजें उनके दरमियान में हैं.'' जिसको अल्लाह भूलने वाला नहीं?
है न दीवानगी के आलम में हादी बाबा की बडबड जिनका ज़िक्र मैं कर चूका हूँ. मोहम्मद को कुरआन का पेट भरना था, सो भर दिया और एलान कर दिया कि यह अल्लाह का कलाम है. मुसलमानों क्या यह आपकी बदनसीबी नहीं कि इस पागल कि बातों को अपना सलीका मानते हो, अपनी तमाज़त तस्लीम करते हो?
 
''क्या आप को मालूम नहीं कि हमने शयातीन को कुफ्फ़र पर छोड़ रक्खा है कि वह उनको खूब उभारते रहते हैं, सो आप उनके लिए जल्दी न करें, हम उनकी बातें खुद शुमार करते हैं, जिस रोज़ हम मुत्ताकियों को रहमान की तरफ मेहमान बना कर जमा करेंगे और मुजरिमों को दोज़ख की तरफ हाकेंगे, कोई सिफारिश का अख्तियार न रखेगा. मगर हाँ जिसने रहमान से इजाज़त ली. और ये लोग कहते हैं अल्लाह तअला ने औलाद अख्तियार कर रखी है. ये ऐसी सख्त हरकत है कि जिसके सबब कुछ बईद नहीं कि आसमान फट पड़ें और ज़मीन के टुकड़े हो जाएँ और पहाड़ गिर पड़ें. इस बात से कि ये लोग रहमान की तरफ औलाद निस्बत करते हैं, हालांकि रहमान की शान नहीं कि वह औलाद अख्तियार करें. जितने भी कुछ हैं आसमानों और ज़मीन में हैं, वह सब रहमान की तरफ गुलाम बन कर हाज़िर होते हैं. रहमान - - - रहमान - - -रहमान - - -
सूरह मरियम १९-१६ वाँ पारा- आयत(८३-९८)
और लीजिए अल्लाह कहता है अपने रसूल से कि उसने अपने बन्दों पर शैतान छोड़ दिए है. हे अल्लाह के बन्दों! क्या अल्लाह ऐसा भी होता है? यह तो खुद शैतानो का बाप लग रहा है. और आप के रसूल लिल्लाह जल्दी मचा रहे हैं कि उनको पैगम्बर न मानने वाले कुफ्फारों को सज़ा जल्दी क्यूं नहीं उतरती? इसी तरह की बातें हैं इस पोथी में. मुझे तअज्जुब हो रहा है कि इतनी बड़ी आबादी और इतनी खोखली कि इस पोथी को निज़ामे-हयात मान कर इसको अपना रहबर बनाए हुए है? मुसलमानों ! क्यूं अपनी जग हसाई करवा रहे हो?
ईसा खुदा का बेटा है, इस अक़ीदत को लेकर मुहम्मद बार बार ईसाइयों को चिढ़ा रहे हैं, और ईसाई हर बार मुसलमानों की धुलाई करते हैं, स्पेन से लेकर ईराक तक इसके लाखों शैदाई मौत का मज़ा चखते आ रहे हैं मगर अक्ल नहीं आती, बद्ज़ाद ओलिमा आप के अन्दर शैतान पेवश्त किए हुए हैं।

मुहम्मद ने ज़ैद बिन हरसा को भरी महफ़िल में अल्लाह को गवाह बनाते हुए गोद लेकर अपनी औलाद बनाया था, उसकी बीवी के साथ ज़िना करते हुए जब ज़ैद ने हज़रात को पकड़ा तो उसने मुहम्मद को ऊपर से नीचे तक देखा, गोया पूछ रहा हो अब्बा हुज़ूर! ये आप अपनी बहू के साथ पैगम्बरी कर रहे हैं? मुहम्मद ने हज़ार समझाया की मन जा, हम दोनों का काम चलता रहेगा, आखिर तेरी पहली बीवी ऐमन भी तो मेरी लौंडी हुवा करती थी, पर वह नहीं माना, तभी से गैर के बच्चे को औलाद बनाना हराम कर दिया. उसी का रद्दे अमल है कि इस बंदे नामुराद ने अल्लाह तक पर ईसा को औलाद बनाना हराम कर दिया.

इस पूरी सूरह में अल्लाह का नाम बदल कर मुहम्मद ने रहमान कर दिया है, ये भी पागलों की अलामत है, जाहिलों की खू.



12 comments:

  1. पंडों की शातिराना हरकतें पोशीदा रहे इसी वास्ते उन्होंने सवर्णों को छोड़ अन्य जातियों के लिए संस्कृत पढने पर पाबन्दी लगा रखी थी. हिन्दुओं ने तो बहुत कुछ उस जहालत से निज़ात पा ली है लेकिन कुरान के अरबी में होते हुए भी (जो की अरब में मातृभाषा है) इस्लामी जगत इस जहालत को ढोए जा रहा है.......आश्चर्य होता है.

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  2. निशाचर साहब!
    आप की बात मेरे दिल की है मगर मुस्लिम वर्ग का फ़र्द होने के नाते, मैं हिंदुत्व की ज़द में आना नहीं चाहता. आप शुरू से मेरे अभिव्यक्त को समझ रहे हैं, इसका मैं शुक्र गुज़ार हूँ. यूं ही मेरे ब्लाग पर आते रहिए ताकि मेरा हौसला बना रहे.

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  3. मोमिन साहब आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं... लगे रहें... हम सब आपके साथ हैं

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  4. आपका प्रयास बहुत अच्छा है
    यदि इस्लाम में खुलापन आ जाये
    सभी को वास्तबिकता क़ा ज्ञान हो जाये तो
    बहुत अच्छा रहेगा
    बहुत-बहुत धन्यवाद

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  5. इब्लीस शैतान नहिं, वह पहला क्रांतिकारी था,जिसने अल्लाह के दोगले आदेश को मानने से इन्कार कर दिया था। अल्लाह हमेशा कहता था,मेरे सिवाय किसी को भी सज़दा न करो,यह शिर्क है,और आदम को पैदा कर उसे भी सज़दा करने का दोगला हुक्म फ़रिस्तों को फ़रमा दिया।
    सभी डरपोक फ़रिस्तों ने मान लिया, पर इब्लीस नें इस दोगलेपन का विरोध किया। आज भी वह शैतान शब्द के अन्याय पूर्ण ठप्पे को सह रहा है।
    ऐसा मनमौजी अल्लाह यदि आखरत के दिन अपने नियम बदल दे,और जिसने भी लाइल्लाह्………॥ किया जह्न्नुम में झोक दे।

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  6. सायबर यज़ीद कैरानवी,

    अल्‍लाह का चैलेंज पूरी मानव-जाति को
    (साल्लाह अपनी ही पैदा की गई मानव-जाति को चैलेंज ठोकता है)

    अल्‍लाह का चैलेंज है कि कुरआन में कोई रद्दोबदल नहीं कर सकता
    (कितने सबूत चाहिए,चल अल्‍लाह को बोल एक टिप्पणी मार यहां)

    अल्‍लाह का चैलेंजः कुरआन में विरोधाभास नहीं
    (साल्लाह विरोध का 'आभास' क्या, प्रमाणिक विरोध ही विरोध दर्ज़ है)

    अल्‍लाह का चैलेंजः आसमानी पुस्‍तक केवल चार
    (साल्लाह कभी कहता है,बहुत सी भेजी,कभी चार,तो चारों को सही तो मान )आसमानी नहिं हरे रंग की दिखती है।

    अल्‍लाह का चैलेंज वैज्ञानिकों को सृष्टि रचना बारे में
    (साल्लाह कभी वैज्ञानिकों की बातों का सहारा लेता है,कभी वैज्ञानिकों के विरोध में खडा होता है,तेरा क्या भरोसा?)

    अल्‍लाह का चैलेंज: यहूदियों (इसराईलियों) को कभी शांति नहीं मिलेगी
    (साल्लाह तूं ही पैदा करे, जीवित भी रखे और कहे कभी शांति नहीं मिलेगी। जब तक यहूदी इस ज़मी पर रहेंगे, अल्लाह तुझे शांति नहीं मिलेगी )

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  7. लोग मुझसे पूछते हैं कि आखिर मैं एक ईसाई पादरी से मुसलमान कैसे बन गया? यह भी उस दौर में जब इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ हम नेगेटिव माहौल पाते हैं। मैं उन सभी का शुक्रिया अदा करता हूं जो मेरे इस्लाम अपनाने की दास्तां में दिलचस्पी ले रहे हैं। लीजिए आपके सामने पेश है मेरी इस्लाम अपनाने की दास्तां

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  8. अगर मैं इस्लाम ना अपनाता तो एक खिलाड़ी के रूप में इतना कामयाब ना होता। इस्लाम ने मुझे नैतिक सम्बल दिया।

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  9. मेरी कोशिशों से तीन सौ व्यक्तियों ने मादक-द्रव्यों से तौबा की है और इक्कीस मर्दों और औरतों ने इस्लाम ग्रहण किया है। मैं एक अपाहिज औरत हूं। मगर मैं अपने आपको अपाहिज नहीं समझती, क्योंकि मेरा ईमान है कि जो व्यक्ति मुसलमान हो जाए, वह कभी अपाहिज नहीं हो सकता, क्योंकि खुदा उसका सहारा बन जाता है।

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  10. इस्लाम के दलाल
    १. मुहम्मद उम्र कैरान्वी
    २. सलीम खान
    ३. अनवर जमाल
    ४. असलम कासमी
    ५. जिशान जैदी
    ६. अयाज अहमद
    ६ .सफत आलम
    ७. शाहनवाज
    बाकियों को भी सभी जानते हैं.
    प्रमाण
    इनके बाप ईसाइयों ने ११ सितम्बर को इनके अल्लाह की किताब कुरान जलाने की घोषणा की है.
    अमेरिका ने सऊदी अरब को मोती रकम देकर कुरान जलाने का विरोध न करने का "आदेश" दिया है. अपने बाप के आदेश पर आतंकवाद के सरगना सऊदी अरब ने अपने चमचों आतंकवादियों से चुप बैठने को कह दिया है.
    चुप बैठने वाले आतंकवादियों को भी उनका हिस्सा मिलेगा. इसलिए उपरोक्त "इस्लाम के दलाल" चुप बैठे हैं. भारत में तो कुरान के नाम पर हिन्दुओं का खून पीने को तैयार रहते हैं. अब क्या हुआ?????????

    इस्लाम के दलालों के संगठन का नाम "impact " यानी "indian muslim progressive activist "है. यह दल "indian mujaahidin "से संबधित है .कैरानावी और सलीम खान इसके local सरगना हैं .बाक़ी सब सदस्य हैं, जिनमें असलम कासमी, अनवर जमाल, अयाज अहमद, एजाज अहमद, जीशान जैदी आदि शामिल हैं. इस्लाम के दलालों के ग्रुप में बुरकेवालियां भी हैं .इनका मुख्य काम दुश्मनों को सूचना देना है. कैरानवी का गिरोह धर्मं परिवर्तन कराना, आतंकवादियों को और घुसपैठ करने वालों को पनाह देना है और उनका सहयोग करना है. blogging तो इनका बाहरी रूप है. ब्लोगिंग के माध्यम से ये लोग अपनी जेहादी मानसिकता के लोग तलाश रहे हैं.

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  11. dharm aur dharm ke naam par hone waali baatein kabhi khatm na hongi . zaroori yah hai ki sab is baat par dhyaan dein ki har dharm apne tareeqe se insaan ko insaan banaaye rakhnaa chaahtaa hai .momin saahab se guzaarish karnaa chaahtaa hoon ki dil se kadwaahat nikaal dein ,aur tamaashbeenon se bachein . ye ek sattar saal ki umr waale hindu buzurg ki salaah hai . meri kisi baat ko galat mat samajhnaa .-und

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  12. ye bilkuk sahi hai ki hame time and space k anusar explanation karni chahaiey nahi to ham pichhadte chale jayenge.......................aap taareef k kaabil hai jo itna muskil kaam kar rahe hai

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