Sunday 25 July 2010

क़ुरआन रूरह ताहा २०


रूरह ताहा २०

(दूसरी किस्त)



सब रवाँ मिर्रीख पर और आप का यह दरसे-दीन ,
कफिरीनो-मुशरिकीनो-मुनकिरीनो-मोमनीन3
रौशनी कुछ सर पे कर लो, ताकि परछाईं का क़द,
छोटा हो जाए तुम्हें कुछ अपने क़द पर हो यकीन।
सीखते क्या हो इबादत और शरीअत के उसूल,
है खुदा तो चाहता होगा क़तारे गाफ़िलीन।
तलिबाने अफ्गनी और कार सेवक हैं अडे,
वह बजाएं, अपनी ढपली, यह बजाएं अपनी बीन।
जाने कितने काम बाकी हैं जहाँ में और भी,
थोडी सी फुर्सत उसे देदे ख्याल नाजनीन।
साहबे ईमाँ तुम्हारे हक में है ''मोमिन''की राह,
सैकडों सालों से गालिब हैं ये तुम पर फ़ास्क़ीन4
१-मंगल ग्रह पर २-धर्म-शास्त्र दर्शन ३-शास्त्र-शीर्षक ४-झूठे

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चलिए कफिरीनो-मुशरिकीनो-मुनकिरीनो-मोमनीन की दुन्या में चलते हैं - - -


''मूसा जब अल्लाह के हुज़ूर में हाज़िर होते हैं तो अल्लाह उनसे पूछता है कि ''ऐ मूसा आपको अपनी कौम से जल्दी आने का क्या सबब हुवा ? उन्हों ने जवाब दिया वह लोग यहीं तो हैं, मेरे पीछे और मैं आपके पास जल्दी से चला आया कि आप खुश होंगे. इरशाद हुवा कि हमने तो तुम्हारी कौम को तुम्हारे बाद मुब्तिला कर दिया और उनको सामरी ने गुमराह कर दिया, ग़रज़ मूसा ग़ुस्से और रंज से भरे हुए अपनी कौम की तरफ वापस आए, फरमाने लगे, ऐ मेरी कौम ! क्या तुम्हारे रब ने तुमसे एक अच्छा वादा नहीं क्या था? क्या तुम पर ज़्यादा ज़माना गुज़र गया? या तुमको ये मंज़ूर हुवा कि तुम पर तुम्हारे रब का गज़ब नाज़िल हो? इस लिए तुमने मुझ से जो वादा किया था, उसको खिलाफ किया था. - - - लेकिन कौम के ज़ेवर में से हम पर बोझ लद रहा था. सो हमने उसको आग में डाल दिया, फिर सामरी ने डाल दिया, फिर उसने उन लोगों के लिए एक बछड़ा ज़ाहिर किया कि वह एक क़ालिब था जिसमे एक आवाज़ आई थी. फिर वह कहने लगे तुम्हारे और मूसा का भी तो माबूद यही है - - - ''
रूरह ताहा २० _ आयत (८१-१००)
आप कुच्छ समझे? मैं भी कुछ नहीं समझ सका. तहरीर हूबहू क़ुरआनी है. यह ऊट पटांग न समझ में आने वाली आयतें मुहम्मद उम्मी की हैं, न कि किसी खुदा की. इनमें दारोग गो, मुतफ़न्नी आलिमों ने सर मगजी करके तहरीर को बामअने ओ मतलब बनाने की नाकाम कोशिश की है. सवाल उठता है कि अगर इसमें मअने ओ मतलब पैदा भी हो जाएँ तो पैगाम क्या मिलता है इन्सान को ?यह सब तौरेती वक़ेआत का नाटकीय रूप है.
मेरे भाई क्या कभी आप ने इस कुरआन की हकीक़त जानने की कोशिश की है? जो आप को गुमराह किए हुए है. इसमें कोई भी बात आपको फ़ायदा पहुचने वाली नहीं है, अलावा इसके कि ज़िल्लत को गले लगाने का इलज़ाम तुम पर आयद हो. आखिर ये ओलिमा इसे किस बुन्याद पर कुरआनऐ-हकीम कहते हैं, कोई हिकमत की बात है इसमें? ज़ाती तौर पर हमें कोई ज़िल्लत हो तो काबिले बर्दाश्त है मगर क़ौमी तौर की बे आब्रूई किन आँखों से देखा जाय. जागो, देखो कि ज़माना कहाँ जा रहा हैऔर मुसलमान दिन बदिन पिछड़ता जा रहा है. आज के युग में इसका दोष इस्लाम फरोशों पर जाता है जो आप के पुराने मुजरिम हैं.

''जो लोग कुरआन से मुंह फेरेंगे सो वह क़यामत के रोज़ बड़ा बोझ लादेंगे, वह इस अज़ाब में हमेशा रहेगे. बोझ क़यामत के रोज़ उनके लिए बुरा होगा. जिस रोज़ सूर में फूंक मारी जायगी और हम उस रोज़ मुजरिम को मैदान हश्र में इस हालत में जमा करेंगे कि अंधे होंगे, चुपके चुपके आपस में बातें करेंगे कि तुम लोग सिर्फ दस रोज़ रहे होगे, जिस की निस्बत वह बात चीत करेंगे, उनको हम खूब जानते हैं. जबकि उन सब में का सैबुल राय यूं कहता होगा, नहीं तुम तो एक ही रोज़ में रहे और लोग आप से पहाड़ों के निस्बत पूछते हैं, आप फरमा दीजिए कि मेरा रब इनको बिलकुल उदा देगा, फिर इसको इसको मैदान हमवार कर देगा.जिसमें तू न हम्वारी देखेगा न कोई बुलंदी देखेगा. - - - और उस वक़्त तमाम चेहरे हय्युल क़य्यूम के सामने झुके होंगे. ''
इसके बाद मुहम्मद इसी टेढ़ी मेढ़ी भाषा में क़यामत बपा करते हैं, फरिश्तों की तैनाती और सूर की घन गरज भी होती है और ख़ामोशी का यह आलम होता है कि सिर्फ़ पैरों की आहट ही सुनाई देती है, बेसुर तन की गप जो उनके जी में आता है बकते जाते हैं और वह गप कुरआन बनती जाती है.''
ऐसे कुरान से जो मुँह फेरेगा वह रहे रास्त पा जायगा और उसकी ये दुन्या संवर जायगी. वह मरने के बाद अबदी नींद सो सकेगा कि उसने अपनी नस्लों को इस इस्लामी क़ैद खाने से रिहा करा लिया.
रूरह ताहा २० _ आयत (१०१-११२)
इंसान को और इस दुन्या की तमाम मख्लूक़ को ज़िन्दगी सिर्फ एक मिलती है, सभी अपने अपने बीज इस धरती पर बोकर चले जाते हैं और उनका अगला जनम होता है उनकी नसले और पूर्व जन्म हैं उनके बुज़ुर्ग. साफ़ साफ़ जो आप को दिखाई देता है, वही सच है, बाकी सब किज़्ब और मिथ्य है. कुदरत जिसके हम सभी बन्दे है, आइना की तरह साफ़ सुथरी है, जिसमे कोई भी अपनी शक्ल देख सकता है. इस आईने पर मुहम्मद ने गलाज़त पोत दिया है, आप मुतमईन होकर अपनी ज़िन्दगी को साकार करिए, इस अज्म अज़म के साथ कि इंसान का ईमान ए हाक़ीकी ही सच्चा ईमन है, इस्लाम नहीं. इस कुदरत की दुन्या में आए हैं तो मोमिन बन कर ज़िन्दगी गुज़ारिए,आकबत की सुबुक दोशी के साथ.
 
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27 comments:

  1. क्या वास्तव में मेरी शिक्षा ऐसी ही है जैसा इस ब्लॉग में जिक्र किया गया है?
    अगर सच्चाई यही होती तो आज करोड़ो हाथों और दिलों में मेरा वजूद ना होता।
    ऐ इंसानों आओ मैं तुम सबको आमंत्रित करता हूं। बिना किसी पूर्वाग्रह के मुझे पढ़ो, गौर करो मेरी शिक्षा पर और ईमानदारी से सोचो अपने सच्चे दिल और दिमाग से।
    उस दिल-दिमाग से जो सच्चे मालिक का दिया हुआ है। मुझे यकीन है वह सच्चा पालनहार आपका मार्गदर्शन करेगा।

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  2. एक बार कुरआन का अध्ययन करते वक्त मेरे सामने यह आयत आई-
    जब वे उसे सुनते हैं जो रसूल पर अवतरित हुआ है तो तुम देखते हो कि उनकी आंखें आंसुओं से छलकने लगती हैं। इसका कारण यह है कि उन्होंने सच्चाई को पहचान लिया है। वे कहते हैं-हमारे रब हम ईमान ले आए। अत तू हमारा नाम गवाही देने वालों में लिख ले।
    यह आयत पढऩे के बाद मैं यह देखकर हैरान हो गया कि मेरी आंखों से आंसू निकल रहे हैं। मैंने मुश्किल से स्टूडेण्ट्स के सामने अपने आंसू छिपाए।'

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  3. 'कुरआन में छिपे दार्शनिक तत्व और नैतिक शिक्षाओं ने मुझे बेहद प्रभावित किया और ये मुझे सोने के समान खरी नजर आईं।
    कुरआन की आयतों को देखकर मुझे यकीन हो गया कि पैगंबर और उनके मिशन पर किसी तरह का शाक नहीं किया जा सकता।'
    ..२५ सितंबर १९८० को उन्होने इस्लाम का कलिमा पढ़ लिया-‘ मैं गवाही देता हू कि सिवाय अल्लाह के कोई इबादत के लायक नहीं और मुहम्मद स.ल व अल्लाह के रसूल हैं। इस्लाम कबूल करने के बाद पन्द्रह साल बाद तक डॉ हॉफमेन जर्मनी के दूत और नाटो के अधिकारी की हैसियत से काम करते रहे।

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  4. इस्लाम के दलाल
    १. मुहम्मद उम्र कैरान्वी
    २. सलीम खान
    ३. अनवर जमाल
    ४. असलम कासमी
    ५. जिशान जैदी
    ६. अयाज अहमद
    ६ .सफत आलम
    ७. शाहनवाज
    बाकियों को भी सभी जानते हैं.
    प्रमाण
    इनके बाप ईसाइयों ने ११ सितम्बर को इनके अल्लाह की किताब कुरान जलाने की घोषणा की है.
    अमेरिका ने सऊदी अरब को मोती रकम देकर कुरान जलाने का विरोध न करने का "आदेश" दिया है. अपने बाप के आदेश पर आतंकवाद के सरगना सऊदी अरब ने अपने चमचों आतंकवादियों से चुप बैठने को कह दिया है.
    चुप बैठने वाले आतंकवादियों को भी उनका हिस्सा मिलेगा. इसलिए उपरोक्त "इस्लाम के दलाल" चुप बैठे हैं. भारत में तो कुरान के नाम पर हिन्दुओं का खून पीने को तैयार रहते हैं. अब क्या हुआ?????????

    इस्लाम के दलालों के संगठन का नाम "impact " यानी "indian muslim progressive activist "है. यह दल "indian mujaahidin "से संबधित है .कैरानावी और सलीम खान इसके local सरगना हैं .बाक़ी सब सदस्य हैं, जिनमें असलम कासमी, अनवर जमाल, अयाज अहमद, एजाज अहमद, जीशान जैदी आदि शामिल हैं. इस्लाम के दलालों के ग्रुप में बुरकेवालियां भी हैं .इनका मुख्य काम दुश्मनों को सूचना देना है. कैरानवी का गिरोह धर्मं परिवर्तन कराना, आतंकवादियों को और घुसपैठ करने वालों को पनाह देना है और उनका सहयोग करना है. blogging तो इनका बाहरी रूप है. ब्लोगिंग के माध्यम से ये लोग अपनी जेहादी मानसिकता के लोग तलाश रहे हैं.

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  6. सब जानते हैं कि मुहम्मद के समय अरब के लोग लुटेरे,अय्याश और अत्याचारी रहे. उस समय औरतें बाजार में बिकती थी. आज भी अरब ,मिस्र की औरतें सेक्स की भूखी रहती है.और आतंकवाद में लगी रहती हैं.हिन्दा नामाकी औरत ने तो अमीर हमजा का सीना चीर कर उसका कलेजा तक चबा लिया था.इसके अलावा उस समय की अरबी औरते अनपढ़ ,अन्धविश्वासी ,और मूर्ख थीं.



    खुद मुहम्मद की सारी औरतें अनपढ़ थी ,और अदिकांश विधवा थीं.इसलिए हो सकता है कि वे वासना पूर्ति के लिए ,और अपना पेट भरने के लिए मुहम्मद के पास जाती हों उन्हें डरथा कि कहीं उन्हें भी कोई लूट कर बेच न दे.




    अब हम दूसरी बात पर आते हैं ,
    अबू बकर की एक नौ साल की बेटी आयशा थी मुहम्मद की पहली औरत खदीजा मर चुकी थी.मुहम्मद ५४ साल का था .तभी उसकी नजर आयेशापर पड़ी.उसने अबू बकर को खलीफा बनाने का लालच दिया ,और छोटीसी आयेशा से शादी का दवाब डाला. आयेशा को शादी के बारे में ज्ञान ही नहीं था.मुहमद की दासियाँ आयेशा कु उठाकर मुहम्मद के कमरे में ले गयीं.आयेशा चिलाती रही,रोती उसकी आवाज दवाने के लिए औरतें शोर करती रही .
    सही मुस्लिम-किताब८,हदीस-३३०९
    बुखारी-खन्द७,हदीस -६५


    जब तक मुहम्मद अपनी मन मानी नहीं कर चुका दूउसरी औरतें शोर मचाती रही ,ताकि किसी को पता नहीं चले क्या हो रहा है.
    सही मुस्लिम -खंड २ हदीस ३३०९


    एकबार मुसलमान मिस्र से एक १७ साल की ईसाई कुंवारी लड़की मारिया किब्तिया को लूट कर और मुहम्मद के हवाले कर दिया.मुहम्मद की नीयत खराब हो गयी .जब वह मारिया के साथ सम्भोग कर रहा था तो उसकी एक औरत हफ्शा ने देख लिया और मुहम्मद ऐसा करने का कारण पूछा.मुहम्मद ने कहा कि यहमैं अल्लाह के आदेश से कर रहा हूँ इसमे अल्लाह ने अनुमति दी है.
    कुरआन-सूरा अह्जाब -३३.३७


    अल्लाह ने कहा है लूट में पकड़ी गयी औरतोंसे तुम सम्भोग कर सकते हो.यह तुम्हारी संपत्ति हैं
    कुरआन-सूरा निसा ४/२३-२४


    इसी तरह मुहम्मद ने जिस लडके ज़ैद को बेटा मान कर उसकी शादी अपनी फूफी की लड़की जैनब से करवादी थी.और शादी के लिए सारा सामान भी दिया था.लेकिन मुहम्मद की जैनब पर भी नजर पद गयी जब वह घर में कपडे धो रही थी. मुहम्मद ने ज़ैद को डराया और जैनब से तलाक देने को कहा




    कुरआन -सूरा अहजाब ३३.३७
    मुहम्मद ने कहा कि यह इसलिए कर रहा हूँ कि अल्लाह चाहता है कि मुझे औरतों की तंगी नहीं रहे चाहे वह चाचा , मामा .फूफू कि बेटी ,या दत्तक पुत्र की पत्नी ही हो

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  7. शाहजहाँ प्रेम की मिसाल के रूप पेश किया जाता रहा है और किया भी क्यों न जाय ,८००० ओरतों को अपने हरम में रखने वाला अगर किसी एक में ज्यादा रुचि दिखाए तो वो उसका प्यार ही कहा जाएगा। मुमताज के बाद शाहजहाँ ने अगर किसी को टूट कर चाहा तो वो थी उसकी बेटी जहाँआरा। जहाँआरा को शाहजहाँ इतना प्यार करता था कि उसने उसका निकाह तक होने न दिया। धिक्कार है ऐसे इतहास्कारों पर जिन्होंने जहानारा को शाहजहाँ की रखेल बताया। बेटी और रखैल ,तोबा तोबा किसने कह दिया?वो तो अब्बू का प्यार था। बाप के इस प्यार को देखकर जब महल में चर्चा शुरू हुई, तो मुल्ला मोलवियों ने एक हदीस का उद्धरण देते हुए कहा कि माली को अपने द्वारा लगाये पेड़ का फल खाने का हक़ है।
    शाहजहाँ की बात छोड़िये ,पैगम्बर तो आम इंसान नहीं थे। बेटे की पत्नी भी पुत्री के सामान होती है।पैगम्बर ने भी अपने मूह बोले बेटे जैद की पत्नी जैनब को इतना प्यार किया कि उससे निकाह ही कर लिया।
    अब इसी बाप बेटी के प्यार का खुमार मुसलमानों पर न चढ़े ,एसा कैसे हो सकता है? मुजफ्फर नगर (उत्तर प्रदेश) में इमराना का बलात्कार जब उसके ससुर ने कर दिया तो इमराना के पति ने जैद का रोल अदा किया, और इमराना का निकाह अपने बाप से करा दिया।
    बिलकुल यही कांड मेरठ में हुआ। शोकत नाम के एक व्यक्ति ने अपनी तीन बेटियों से नाजायज सम्बन्ध बनाये। लेकिन तीसरी बेटी ने जब उसकी करतूत को पुलिस थाणे में जाकर बताया तब जाकर ये बात खुली। और भी ऐसे हजारों उदहारण है जहाँ इस्लाम के अनुसार अब्बू का प्यार बेटियों पर बरसता रहता है

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  8. 1-हदीस की प्रेरणा औरतों की फूहड़ बातें
    चूँकि इस्लाम में औरतों के लिए पढ़ना , गाना बजाना , बाहर जाना , और किसी प्रकार के मनोरंजन पर पाबन्दी है . इसलिए वह अपना दिल बहलाने के लिए घर में ही कोई रास्ता निकाल लेती थी. ऐसा ही मुहम्मद साहब की सबसे छोटी पत्नी आयशा भी करती थी . वह अडौस पडौस की फालतू औरतों को घर में बुला लेती थी .और सब मिल कर हर तरह की बातें करते थे . कई बार औरतें बेशर्म होकर अश्लील और फूहड़ बातें भी करती थी . वैसे तो मुहम्मद साहब औरतों पर पाबन्दी लगाने की बात करते थे , लेकिन जब आयशा के साथ उनकी पत्नियाँ और पडौस की औरतें निर्लज्ज होकर उन्ही के सामने अश्लील बातें करती थीं ,तो मुहम्मद साहब आनंद विभोर हो जाते थे .और उनकी अश्लील बातों प्रभावित हो कर जो भी कह देते थे .उसको भी हदीस समझ लिया जाता था .,ऐसी ही एक बेशर्म औरत की हदीस देखिये -

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  9. उम्मे जारा की नंगी हदीस
    अरबी में फूहड़ को Slutty ,وقحة और निर्लज्ज को صفيق ,shameless कहा जाता है .इस हदीस को उम्मे जरा की हदीस कहा जाता है .और यह हदीस इसलिए महत्वपूर्ण है कि इस हदीस में द्विअर्थी ( Double Meanings ) शब्दों का प्रयोग किया गया है . और इस से मुहम्मद साहब चारित्रिक स्तर का सही पता चलता है .पूरी हदीस इस प्रकार है ,
    " आयशा ने कहा कि अक्सर मुझ से मिलने के लिए पडौस की औरतें आया करती थी . एक बार मी अपने घर ग्यारह औरतों को बुलवाया , और उन से कहा कि वह अपने पतियों के बारे में और उनके साथ दाम्पत्य संबंधों की सभी बातें बिना शर्म के खुल कर बताएं .जिस को सुन कर रसूल थोड़े में ही सारी बात समझ जाएँ .और अपना निर्णय सबको बता सकें .
    1 . पहली औरत - बोली मेरा पति एक ऐसे ऊंट कि तरह है , लगता है उस पर मांस का थैला लदा हो . जो देखने में तो अच्छा लगता है , लेकिन ऊपर नहीं चढ़ सकता .
    2 . दूसरी औरत - बोली मेरा पति इतना ख़राब है कि उसका वर्णन नहीं कर सकती , उसके आगे और पीछे की सभी चीजें किसी भी तरह नहीं छुप सकती है .
    3 .तीसरी औरत - ने कहा , मेरा पति भोंदू है ,वह मुझे ठीक से संतुष्ट नहीं कर पाता,यदि मैं टोकती हूँ तो तलाक की बात करता है . और चुप रहती हूँ तो मेरे चरित्र पर शक करता है .क्योंकि उसे अपनी औरत को खुश करना नहीं आता है .
    4 . चौथी औरत -बोली , मेरा पति मक्का की सर्द रात की तरह ठंडा है .इसलिए न तो मुझे उस से कोई डर है और न मैं उसकी परवाह करती हूँ .
    5 .पांचवीं औरत - ने बताया , मेरा पति बाहर तो चीता बना रहता है , और घर आते ही मुझ पर शेर की तरह हमला कर देता है . लेकिन जरा सी देर में ठंडा हो जाता है .और जैसे ही मैं उसको जाने को कहती हूँ फ़ौरन भाग जाता है .
    6 . छठवीं औरत - बोली , मेरा पति भुक्खड़ है . उसे सिर्फ खाने से मतलब रहता है . वह खाने की कोई चीज नहीं छोड़ता . और खाते ही चादर ओढ़ कर सो जाता है .लेकिन मेरे शरीर को हाथ भी नहीं लगाता. यही मेरी परेशानी है .
    7 . सातवीं औरत . ने बताया , देखने में तो मेरा पति काफी उत्साही लगाता है , लेकिन वह नामर्द है . फिर भी मुझे गर्भवती करने के लिए असभ्य तरीके अपना कर मुझे दौनों तरफ से इस्तेमाल करता है . जिस से मेरा शरीर घायल हो जाता है .
    8 .आठवीं औरत -बोली मेरा पति एक फल की तरह है . जिसकी सिर्फ सुगंध ही अच्छी लगती है . लेकिन उसे जहाँ से भी टटोल कर दबाओ वह नर्म और पिलपिला प्रतीत होता है .
    9 . नौवीं औरत . ने कहा . मेरा पति ऐसी बुलंद ईमारत की तरह है , जिसके अन्दर राख भरी हो .और मेरा छोटा सा घर अन्दर से मजबूत है . फिर भी मेरा पति घर के सामने ही बैठ जाता है . कभी अन्दर नहीं घुसता .
    10 .दसवीं औरत - ने बताया ,मेरे पति का नाम " मालिक " है , और वह सचमुच का मालिक है . वह मुझे सजा कर उस ऊंट की तरह तारीफ करता है . जिसे चराने के लिए छोड़ दिया जाता है .फिर गले में घंटियाँ बांध कर हलाल करने की जगह भेज दिया जाता है .
    11 . ग्यारहवीं औरत - उम्मे जारा ने कहा , मेरा पति अबू जरा , खूब खाता है और मुझे भी खिलाता है . उसने मुझे जेवर भी पहिनाए है . लेकिन खाने में बाद अनाज की बोरी की तरह पडा रहता है . एक दिन उसे रस्ते में एक सुन्दर गुलाम औरत दिखी , जो दूध दुह रही थी .साथ में ही दो बच्चे भी खेल रहे थे. और मेरे पति ने उस औरत से शादी कर ली .मेरे घर में जगह की तंगी है , और जब मेरा पति उस औरत को घर में लाया तो मैंने विरोध किया . इस पर मेरे पति ने मुझे खजूर की टहनी से खूब मारा .और मुझे तलाक दे दी . बाद मैं मैंने एक दूसरे आदमी से शादी कर ली , जो एक घुड सवार और तीरंदाज है .अब मुझे डर है कि कहीं यह व्यक्ति भी मुझे तलाक न दे दे .
    आयशा ने कहा कि रसूल ने उम्मे जारा और सभी औरतों की सभी बातों को ध्यान से सुना .और उनका असली अर्थ भी समझ लिया .फिर उन से कहा
    " आज से मेरे लिए आयशा और तुम में कोई अंतर नहीं है ,यानि तुम मेरे लिए आयशा की तरह और आयशा मेरे लिए तुम्हारी तरह है "

    इसी हदीस को " हिशाम बिन उर्वा" ने भी दूसरे शब्दों में बयान किया है . लेकिन रसूल का निर्णय दौनों जगह एक ही है .

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  10. vidya ji aapko isme kya achchha laga pata nahi aap ak baar hadiso ar kuran ko khud padhe aapko pata chalega ki vishwa me ashanti ki jad hai islam

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  11. वासना पिशाच
    मुस्लिम विद्वान् अपने रसूल मुहम्मद को दूसरों के नबियों , अवतारों और महापुरुषों से बड़ा साबित करने में लगे रहते हैं , यहाँ तक सेक्स के मामले में भी मुसम्मद साहब को " सुपर मेन ऑफ़ सेक्स-superman of Sex " तक कह देते हैं . लेकिन यूरोप के विद्वान् मुहम्मद साहब की अदम्य और असीमित वासना के कारण उनको "सेक्स डेमोन\Sex Demon " यानी "वासना पिशाच "कहते हैं . यह बात इन हदीसों से प्रमाणित होती है
    "अनस बिन मलिक ने बताया कि रसूल बारी बारी से अपनी औरतों के साथ लगातार सम्भोग करने में लगे रहते थे .सिर्फ नमाज के लिए घर से निकलते थे . उनको अल्लाह तीस या चालीस मर्दों के बराबर सम्भोग शक्ति प्रदान की थी"
    सही बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 6
    यही बात दूसरी हदीस में भी कही गयी है ,
    "अनस बिन मलिक ने कहा कि रसूल लगातार रात दिन अपनी औरतों के के साथ सम्भोग करते रहते थे . जब कटदा ने अनस से पूछा कि क्या रसूल में इतनी शक्ति है . तो अनस ने कहा कि रसूल में 30 मर्दों के बराबर सम्भोग शक्ति है ,और उनकी 9 नहीं 11 औरतें थीं ."

    حَدَّثَنَا مُحَمَّدُ بْنُ بَشَّارٍ، قَالَ حَدَّثَنَا مُعَاذُ بْنُ هِشَامٍ، قَالَ حَدَّثَنِي أَبِي، عَنْ قَتَادَةَ، قَالَ حَدَّثَنَا أَنَسُ بْنُ مَالِكٍ، قَالَ كَانَ النَّبِيُّ صلى الله عليه وسلم يَدُورُ عَلَى نِسَائِهِ فِي السَّاعَةِ الْوَاحِدَةِ مِنَ اللَّيْلِ وَالنَّهَارِ، وَهُنَّ إِحْدَى عَشْرَةَ‏.‏ قَالَ قُلْتُ لأَنَسٍ أَوَكَانَ يُطِيقُهُ قَالَ كُنَّا نَتَحَدَّثُ أَنَّهُ أُعْطِيَ قُوَّةَ ثَلاَثِينَ‏.‏
    وَقَالَ سَعِيدٌ عَنْ قَتَادَةَ إِنَّ أَنَسًا حَدَّثَهُمْ تِسْعُ نِسْوَةٍ‏.‏

    Bukhari, Volume 1, Book 5, Number 268
    बुखारी की इस हदीस की व्याख्या करते हुए सुन्नी विद्वान् "इमाम इब्ने हंजर सकलानी " ने अपनी किताब " फतह अल बारी - فتح الباري‎) " में बताया है कि जब रसूल जिन्दा थे तो रसूल में 4 0 जन्नती व्यक्तियों के बराबर सम्भोग शक्ति थी . और जन्नत के एक व्यक्ति की सम्भोग शक्ति दुनिया के एक हजार व्यक्तिओं के बराबर होती है , अर्थात रसूल में 40 हजार मर्दों के बराबर सम्भोग करने की शक्ति थी , इसी लिए वह हमेशा सम्भोग करने की इच्छा रखते थे . इस बात की पुष्टि इस्लाम के प्रचारक "शेख मुहम्मद मिसरी " ने भी की है .देखिये विडिओ
    الرسول ينكح 6 نسوان بساعة واحدة

    http://www.youtube.com/watch?v=Vgir-rMRY2g
    यही कारण था कि मुहम्मद साहब के साथी भी मुहम्मद साहब की नक़ल करके रात दिन औरतों के साथ सम्भोग में लगे रहते थे . और स्वाभाविक है कि लगातार सहवास करने से मुहमद साहब और उनके साथियों की औरतें . शिथिल , थुलथुली हो गयी होंगी और उनके स्तन लटक गए होंगे .इस लिए मुहम्मद साहब अपने साथियों को ऐसी अरतों का लालच देते रहते थे , जिनके स्तन कठोर और उभरे हुए हों ,कुरान में यही लालच दिया गया है
    3-कठोर स्तन वाली स्त्रियाँ
    मुहम्मद साहब के दिल में जो बात होती थी , वह कुरान में जरुर शामिल कर देते थे . ताकि वह बात अल्लाह का वचन समझा जाये .मुहम्मद साहब शिथिल स्तनोंवाली अपनी औरतों से ऊब गए होंगे ,और उनको कठोर स्तन वाली औरतों की तलाश थी . इसलिए कुरान में यह आयत जोड़ दी . ताकि जिहादी लालच में आ जाएँ , कुरान में कहा है .
    "बेशक डर रखने वालों के लिए फायदा है ,बाग़ और अंगूर ,और नवयुवतियां समान आयु वाली "सूरा अन नबा 7 8 :3 1 से 3 3 तक
    नोट-इस आयत में अरबी में नव युवतियों के लिए अरबी में "कवायिबكَواعِبَ-- "शब्द आया है . लेकिन मुल्लों नेइसका अर्थ "शानदार -splendid"कर दिया है .जबकि इस शब्द का असली अर्थ "गोल स्तन -This means round breasts " होता है .तात्पर्य यह है कि ईमान वालों को अल्लाह ऐसी औरतें देगा जिनके स्तन गोल , उभरे और कठोर होंगे .और जिनकी आयु ईमान वाले मुसलमानों की आयु के बराबर होगी ( This means round breasts. They meant by this that the breasts of these girls will be fully rounded and not sagging, because they will be virgins, equal in age. This means that they will only have one age. The explanation of this has already been mentioned in Surat Al-Waqi`ah. 56:35 -Concerning Allah's statement,)
    . यह बात सूरा -वाकिया से स्पष्ट हो जाती है , जिसमे कहा है ,
    "हमने उन स्त्रियों के विशेष उभार को उठान पर उठाया (raised है "सूरा -अल वाकिया 56:35

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  12. हुनैन का बलात्कार कांड
    मक्का और तायफ के बीच में एक घाटी थी , किसमे " हवाजीन "नामका एक बद्दू कबीला रहता था .जो कुरैश का ही हिस्सा था .इस कबीले की औरतें भी मेहनती होने के कारण स्वस्थ थी . और उन औरतों के स्तन उभरे हुए थे .मुहम्मद ने उन पर हमला करने के लिए बहाना निकाला कि यह लोग काफ़िर थे . लेकिन मुहम्मद और उनके अय्याश साथियों की नजर हवाजिन कबीले की औरतों पर थी .इसी लिए रात में ही हमला कर दिया .चूँकि यह कांड हुनैन नामकी सकरी घाटी में हुआ था ,.जिस से बहार निकलना कठिन था ,इसलिए बददु लोग हार गए
    इतिहासकार इब्ने इशाक के अनुसार इस्लाम में हुनैन की जंग का बड़ा ही महत्त्वपूर्ण स्थान है , क्योंकि इस लड़ाई के बाद ही मुसलमानों को युद्ध में या कहीं से भी पकड़ी गयी औरतों के साथ सम्भोग करने का अधिकार प्राप्त हो गया .हालांकि मुसलमान हुनैन की इस लड़ाई को युद्ध कहते है . लेकिन इसे युद्ध कहना ठीक नहीं होगा , क्योंकि एक तरफ मुहम्मद के 12 हजार प्रशिक्षित हथियारधारी लुटेरे थे तो दूसरी तरफ 6 हजार साधारण बद्दू थे ,जिनमे औरतें , बूढ़े ,बीमार और बच्चे भी थे .यह घटना इस्लामी महीने शव्वाल की 10 तारीख हिजरी सन 8 में हुई थी ,यानी ईसवी सन 630 की बात है .इब्ने इशक के अनुसार इस युद्ध में कोई धन नहीं मिला था लेकिन 6000 औरतें पकड़ी गयी थी .मुहम्मद की तरफ से जिन लोगों ने इस लड़ाई में हिस्सा लिया था ,उनमे 13 साल से लेकर 54 साल के लोग थे . और कई ऐसे थे जो रिश्ते में बाप बेटा ,चाचा भतीजे थे .मक्का और तायफ के बीच में एक घाटी थी , किसमे " हवाजीन "नामका एक बद्दू कबीला रहता था .जो कुरैश का ही हिस्सा था .इस कबीले की औरतें भी मेहनती होने के कारण स्वस्थ थी . और उन औरतों के स्तन उभरे हुए थे .मुहम्मद ने उन पर हमला करने के लिए बहाना निकाला कि यह लोग काफ़िर थे . लेकिन मुहम्मद और उनके अय्याश साथियों की नजर हवाजिन कबीले की औरतों पर थी .इसी लिए रात में ही हमला कर दिया .इस घटना का विवरण इन हदीसों में मिलता है , जिसमे मुहम्मद और उनके साथियों किस तरह इंसानियत को कलंकित किया था .

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  13. पति के सामने बलात्कार
    "सईद अल खुदरी ने कहा कि जब रसूल ने हुनैन के औतास कबीले पर हमला करके वहां के लोगों को पराजित करके उनकी औरतों को बंधक बना लिया . तब रसूल ने अपने साथियों को आदेश दिया कि तुम इस युद्ध में पकड़ी गयी औरतों के साथ बलात्कार करो , लेकिन कुछ लोग उन औरतों के पतियों के सामने ही ऐसा करने से झिझक रहे थे .तब रसूल ने उसी समय सूरा -निसा 4 :2 4 की आयत सुना दी , जिसमे कहा है कि तुम पकड़ी गयी औरतों से तभी साथ सम्भोग नहीं कर सकते हो , यदि वह मासिक धर्म से (रजस्वला "हो .
    अबू दाऊद किताब 2 हदीस 215 0

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  14. समआयु की औरतें
    मुहम्मद साहब बहुत होश्यार थे , उन्हों कुरान में पहले ही लिखा दिया था कि ईमान वालों को पुरस्कार के रूप में समान आयु वाली और कठोर स्तन वाली औरतें मिलेंगे , और जब हुनैन के हमले में मुसलमानों ने छह हजार औरतें पकड़ लीं ,तो छांट छांट कर अपनी आयु की औरतों के साथ बलात्कार किया था . जो इस हदीस से पता चलता है ,
    "सईदुल खुदरी ने कहा कि जब रसूल के सैनिकों ने हुनैन में औताफ के लोगों पर हमला करके हरा दिया तो उनकी औरतों को बंधक बना लिया , फिर अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वह पकड़ी गयी औरतों में से अपने बराबर की आयु वाली औरतों के साथ सम्भोग कर सकते हैं , सिवाय उन औरतों के जिनकी इद्दत पूरी नहीं हो (यानी मासिक धर्म पूरा नहीं हो ) .रसूल ने उसी समय सूरा निसा 4 :24 की यह आयत लोगों को सुनायी थी ."
    "وَالْمُحْصَنَاتُ مِنَ النِّسَاءِ إِلاَّ مَا مَلَكَتْ أَيْمَانُكُمْ‏}‏ أَىْ فَهُنَّ لَكُمْ حَلاَلٌ إِذَا انْقَضَتْ عِدَّتُهُنَّ ‏.‏ "
    सही मुस्लिम - किताब 8 हदीस 3432

    कुरान की इस आयत में जो लिखा था वही मुसलमानों ने किया था , कुरान में लिखा है ,
    "हमने प्रेयसी सम आयु वाली पसंद की " सूरा -अल वाकिया56:37
    मुसलमान हुनैन की लड़ाई का कारण कुछ भी बताते रहें , लेकिन वास्तव में औरतें पकड उनसे सामूहिक बलात्कार की मुहम्मद की एक कुत्सित योजना थी .अब तक आपने पढ़ा है ,मुहम्मद की वासना राक्षसी थी , और लगातार सम्भोग करते रहने से उसकी औरतों के स्तन शिथिल हो गए होंगे ,इसलिए मुहम्मद ने कुरान में भी अपने साथियों को कठोर स्तन वाली औरतें देने का लालच दिया था .चूँकि हवाजिन कबिले की औरतें मेहनती थी . और इसीलिए उनके स्तन उभरे और कठोर थे . जो मुहमद की पसंद थी .आपने यह भी पढ़ा कि मुहम्मद साहब जो भी कुकर्म करते थे उसे जायज ठहराने के लिए कुरान कोई न कोई आयत रच देते थे , ताकि आगे भी मुस्लमान ऐसा ही करते रहें .

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  15. रसूल का उत्तम आदर्श
    मुहम्मद साहब ने अपने इसी चरित्र को खुद ही आदर्श घोषित करते हुए कुरान में भी लिखवा दिया
    " निश्चय ही तुम लोगों के लिए अल्लाह के रसूल का चरित्र उत्तम आदर्श है " सूरा -अहजाब 33:21
    आज भी मुसलमान जितने भी बलात्कार करते है , सब मुहम्मद साहब के इसी आदर्श चरित्र का पालन करते हैं .और हर गैर मुस्लिम लड़की या महिला से बलात्कार को अल्लाह की जीत समझते हैं ,ऐसी ही एक सत्य घटना दी जा रही है ,
    7-अल्लाह के नाम से बलात्कार

    मुहम्मद साहब को अपना आदर्श मानकर और उनका अनुसरण करते हुए कुरान की मानवविरोधी शिक्षा पर अमल करने से मुसलमान इतने अपराधी ,क्रूर और बलात्कारी हो गए कि बलात्कार जैसे जघन्य कुकर्म को भी अल्लाह के प्रति अपना प्रेम समझने लगे हैं . इसी कारण बलात्कार की घटनाएँ बढ़ रही है .इस बात को सिद्ध करने के लिए मिस्र देश की यह एक ही सच्ची घटना काफी है ,
    मिस्र को इजिप्ट ( Egypt) भी कहा जाता है . यह इस्लामी देश है , लेकिन यहाँ कुछ ऐसे ईसाई भी रहते हैं ,जो इस्लाम के पूर्व से ही यहाँ रहते आये हैं .इनको " कोप्टिक ईसाई - Coptic Christian "कहा जाता है . अरबी में इनको" नसारा " कहते हैं .मुस्लमान अक्सर इनकी लड़कियों का अपहरण करके बलात्कार करते रहते है .
    यह सन 2009 की घटना है . कुछ मुस्लिम युवकों ने एक ईसाई लड़की को बीच रस्ते से पकड़ लिया , और सबके सामने उसकी जींस उतार कर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया .जब लड़की ने भागने का प्रयत्न किया तो दर्शक मुसलमान चिल्लाये पकड़ो , नसारा को पकड़ो .और जब उस लाचार लड़की से बलात्कार हो रहा था , तो वहां कुछ मुल्ले भी मौजूद थे , जो कलमा पढ़ रहे थे " ला इलाहा इल्लालाह , मुहम्मदुर रसूल अल्लाह "यही नहीं लड़की दर्द के कारण जितनी जोर से चिल्लाती थी . मुसलमान उतनी ही जोर से "अल्लाहु अकबर " का नारा लगाते थे . यही नहीं इन दुष्ट मुसलमानों में इस घटना का विडियो भी बना लिया था . जो किसी तरह से 11/4/2013 को लोगों के सामने आ सका है .यह विडियो इस साईट में उपलब्ध है ,
    Video:Christian Girls Gang Raped to Screams of “Allahu Akbar” in Egypt

    http://www.raymondibrahim.com/from-the-arab-world/video-christian-girls-gang-raped-to-screams-of-allahu-akbar-in-egypt/

    इसके बावजूद मुस्लिम प्रचारक बड़ी बेशर्मी से मुहम्मद की तारीफ में कहते हैं

    "हे मुहम्मद हमने तुम्हें भेज कर सारे संसार पर मेहरबानी की है 'सूरा -अल अम्बिया 21:107

    इन सबूतों को देखने के बाद किसी को भी शंका नहीं होना चाहिए कि मुहम्मद साहब को अपना आदर्श मानने से ही बलात्कार की घटनाएँ बढ़ रही हैं .और जो सिद्धांत अल्लाह के नाम से बलात्कार करने की शिक्षा देता है , वह धर्म कहने के योग्य नहीं ,बल्कि धिक्कार के योग्य है .सोचिये यदि अल्लाह ने नूह की तरह मुहम्मद साहब को नौ सौ साल की आयु दे दी होती ,तो मुहम्मद साहब कितने बलात्कार करते ?

    http://www.raymondibrahim.com/?s=raped&submit.x=12&submit.y=5

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  16. शिक्षा के महत्त्व से कोई भी व्यक्ति इंकार नहीं करता . क्योंकि शिक्षा से मनुष्य विनयशील ,और सभ्य बनता है . ऐसा भी माना जाता है कि जैसे जैसे कोई बालक या व्यक्ति जितनी अधिक शिक्षा प्राप्त करता जाता है ,वैसे ही उसके विचार और चरित्र में बुराइयां दूर होती जाती हैं .और ऐसे व्यक्ति किसी एक देश या जाति के लिए नहीं सम्पूर्ण विश्व की भलाई के लिए ही काम करते है ,
    लेकिन यह नियम मूसलामानों पर लागु नहीं होता , क्योंकि ऐसे करोड़ों उदहारण है , कि मुसलमान जितने भी अधिक शिक्षित होते जाते हैं , उतने ही अधिक , उग्र , हिंसक ,अपराधी और आतंकवादी बनाते जाते हैं .इनकी मिसाल उस कार या स्कूटर की तरह है , जिसे जितना भी सुधरवाया जाता है , उतने ही ख़राब हो जाते हैं .और जब जाँच कराई जाती है , तो मैकेनिक कहता है " इनमे तो निर्माण सम्बन्धी दोष है (production defect"और इस कार या स्कूटर को सुधारना असंभव है .इसे तो कबाड़खाने में फेक देना चाहिए .क्योंकि इस कार या स्कूटर को बनाने के लिए जो भी पुर्जे लगाये गए हैं ,वह स्तर हीन ( below standard ) हैं . यही कारण है कि अफजल गुरु , और डेविड हेडली राणा जैसे सभी शिक्षित मसलमान कट्टर आतंकवादी पाए जाते है .क्योंकि इनकी पैदायश में ही खोट ( defect in manufacture ) है ,इस लेख में इसी रहस्य से पर्दा उठाया जा रहा है .और सभी तथ्य कुरान और हदीस से प्रमाणित हैं ,

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  17. मुसलमानों की फितरत समान है
    फितरत अरबी शब्द है ,जिसे "फितरह فطرة " भी बोला जाता है .हिंदी में इसके अर्थ स्वभाव ' प्रकृति ' या' वृत्ति ' होते हैं .और अंगरेजी में फितरत के अर्थ ‘disposition’nature’instinct’होते हैं .सभी मुसलमानों की फितरत बिलकुल एक जैसी होती है , यह इन हदीसों से साबित होता है ,
    "अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने हमें बताया है ,कि जैसे ही मुसलमानों का बच्चा पैदा होता है .अल्लाह उसकी फितरत बना देता है . जो मरते समय तक वैसी ही बनी रहती है .और जिस से यहूदियों , ईसाइयों और मुसलमानों के बीच का फर्क पता चल जाता है "

    حَدَّثَنَا زُهَيْرُ بْنُ حَرْبٍ، حَدَّثَنَا جَرِيرٌ، عَنِ الأَعْمَشِ، عَنْ أَبِي صَالِحٍ، عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ، قَالَ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم ‏"‏ مَا مِنْ مَوْلُودٍ إِلاَّ يُلِدَ عَلَى الْفِطْرَةِ فَأَبَوَاهُ يُهَوِّدَانِهِ وَيُنَصِّرَانِهِ وَيُشَرِّكَانِهِ ‏"‏ ‏.‏ فَقَالَ رَجُلٌ يَا رَسُولَ اللَّهِ أَرَأَيْتَ لَوْ مَاتَ قَبْلَ ذَلِكَ قَالَ ‏"‏ اللَّهُ أَعْلَمُ بِمَا كَانُوا عَامِلِينَ ‏"‏ ‏.‏

    Sahih Muslim, Book 033, Number 6426

    "अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा है बिना फितरत के कोई मुस्लिम बच्चा पैदा नहीं होता , चाहे उसके अभिभावक उसे यहूदी , मजूसी , या ईसाई बनाने का प्रयत्न करें .जैसे तुम किसी जानवर के अंग काट दो उसकी फितरत वही रहेगी "
    Sahih al-Bukhari, Volume 2, Book 23, Number 441

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  18. दुसरे लोगों की तरह मुसलमान भी वीर्य यानि नुत्फे से पैदा हुए हैं , यह कुरान की इस आयत से प्रमाणित है ,

    " निश्चय ही हमने मनुष्य को गीली मिट्टी के सत से बनाया ,फिर उसे सुरक्षित करके एक जगह टपकती हुई बूंद नुत्फे के रूप में रख लिया ,फिर उस नुत्फे को लोथड़े का रूप दे दिया .फिर उस लोथड़े को बोटी का रूप दे दिया .फिर् बोटियों से हड्डियां बनायी .फिर उन हड्डियों पर मांस चढ़ा दिया .फिर उसका बिलकुल दूसरा ही रूप देकर खडा कर दिया .तो देखो बरकत वाला अल्लाह ही सबसे उत्तम सृष्टिकर्ता है ." सूरा -अल मोमनीन 23:12 से 15 तक
    (इस आयत से साफ पता चलता है कि दुसरे प्राणियों की तरह मुसलमानों का जन्म सबसे पहले वीर्य या नुत्फे से होता है .जो माँ के गर्भाशय में पल बढ़ कर बच्चे के रूप में जन्म लेता है .अर्थात बच्चे के जन्म का महत्त्वपूर्ण और मुख्य आधार " नुत्फा Sperm" ही है )

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  19. सम्पूर्ण कुरान में वीर्य को 16 बार तीन विभिन्न नामों से उल्लेख किया गया है ,लेकिन कहीं भी वीर्य के "शुक्राणु Sperm" के बारे में कुछ नहीं लिखा है .इस से स्पष्ट होता है कि अल्लाह और उसके रसूल को वीर्य के बारे में तो ज्ञान था ,लेकिन वीर्य में होने वाले " शुक्राणुओं " के बारे में कोई ज्ञान नहीं था .कुरान में वीर्य के तीन नाम इस प्रकार हैं ,
    1. -Nutfah" نطفة "कुरान में यह शब्द 12 बार आया है .और इस शब्द का प्रयोग करते हुए कुरान और हदीस में बताया है कि नुत्फे से ही मनुष्य पैदा होता है .नुत्फा शब्द कुरान की जिन सूरा और आयतों मौजूद है ,उनकी सूरा और आयत नंबर इस प्रकार हैं .nutfah: 16:4, 18:37, 22:5, 23:13, 23:14, 35:11, 36:77, 40:67, 53:46, 75:37, 76:2, 80:19.नुत्फा का अर्थ अरबी शब्द कोष में इस प्रकार बताया है , एक द्रव (liquid ) मना जाता है कि इसी से मनुष्य पैदा होता है

    2.माअ-Maa" ماء "कुरान में यह शब्द तीन बार आया है . वैसे इसका अर्थ पानी (water ) होता है . लेकिन कुरान में इसका अभिप्राय पुरुष और स्त्री के वीर्य से लिया गया है .(Water. Sometimes used for semen (male or female). यह शब्द कुरान में इस जगह आया है .(Used in this way in verses 32:8 and 77:20, and 86:6).
    3.मनी- Maniyy" مني "यह शब्द कुरान में केवल एक ही बार आया है .और पुरुष या स्त्री के वीर्य (Male or female semen )के लिए प्रयुक्त किया गया है .सभी हदीसों में यह शब्द आयशा द्वारा मुहम्मद के कपड़ों से वीर्य के धब्बे साफ़ करने के प्रसंग में आया है .( It is frequently used in hadith ,that Aisha used to clean semen off Muhammad’s clothes)यह शब्द कुरान की सूरा अल कियामा 75 की आयत 37 में आया है .

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  20. -वीर्य के चालीस चरण
    हदीसों के अनुसार वीर्य की बूंद को बच्चे के रूप में जन्म देने तक चालीस चरण (stages ) पूरा करने पड़ते हैं ,जो इन हदीसों में बताया है ,
    "अबू तुफैल ने कहा कि एक बार मैं रसूल के घर गया , वहां अबू शरिया हुजैफा बिन उसैद अल गिफारी भी मौजूद थे। ,और सबके सामने रसूल ने बताया कि जब "नुत्फा " (वीर्य semen ) के माता के गर्भाशय में चालीस चरण ( 40 stages ) पूरे हो जाते हैं , यानि नुत्फा चालीस दिन रात गर्भाशय में पड़ा रहता है , तो एक फ़रिश्ता अन्दर घुस कर नुत्फा को ठीक आकार दे देता है ,और फ़रिश्ता वहीं पर तय कर देता है कि नुत्फा से लड़का बनाया जाए , या लड़की (male or female )"
    सही मुस्लिम -किताब 33 हदीस 6394

    यही बात कुछ अंतर से दूसरी हदीस में भी बतायी गयी है ,
    सही मुस्लिम-किताब 33 हदीस 6395

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  21. बच्चों में पैतृक समरूपता
    इस बात को विज्ञान भी स्वीकार करता है कि संतान पैदा करने में वीर्य यानि ' नुत्फा " का होना जरुरी है ,और उस वीर्य से लड़का होगा ,या लड़की यह ठीक से बताना मुश्किल होता है और होने वाली संतान पिता या माता में किसके समरूप होगी यह इन हदीसों में बताया गया है .जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है .
    1.बाप बेटे में समरूपता
    "अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने बताया है ,यदि पुरुष किसी स्त्री से सम्भोग करते समय स्त्री से पहले स्खलित होता है तो ,उसका होने वाला बच्चा पिता के अनुरूप होगा . और यदि स्त्री पहले स्खलित होती है , तो बच्चा माता के अनुरूप होता है " सही बुखारी -जिल्द 4 किताब 55 हदीस 546

    2.माँ बेटी में समरूपता
    "उम्मे सलमाँ ने रसूल से पूछा यदि किसी औरत रात "एहतलामاحتلام- "यानी स्वप्नदोष( nocturnal discharge ) हो जाए , तो क्या उसके लिए गुस्ल (bath ) करना अनिवार्य है , रसूल ने कहा हाँ .यदि किसी औरत रात के समय ( wet-dream ) "एहतलाम احتلام "हो जाये और उसे पता चले कि उसकी योनि से " माअ Maa" ماء "( "( वीर्य ) निकल गया ,और वह गुस्ल नहीं करे तो होने वाला बच्चा माता के अनुरूप होगा
    .सही बुखारी -जिल्द 4 किताब 55 हदीस 545
    हो सकता है कि जिन लोगों को शरीर विज्ञानं या भ्रूण विज्ञानं का पता नहीं है ,या कुरान और अल्लाह की ऐसी बातों पर विश्वास कर लेंगे .लेकिन शरीर में वीर्य कहाँ बनता है ,इसके बारे में कुरान में जो भी बताया है ,उसे पढ़कर अल्लाह और उसके रसूल की मुर्खता पर मुसलमान अपना सिर पीटने लगेंगे ,क्योंकि कुरान में कहा है ,

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  22. वीर्य कहाँ बनता है
    एक साधारण दसवीं कक्षा का विद्यार्थी भी जानता है कि वीर्य और शुक्राणु पुरुष के अंडकोष में तैयार होते हैं , लेकिन कुरान इसे रीढ़ और हंसली की हड्डी में बता रही है , जो इन आयतों दिया है ,
    " तो मनुष्य देखे कि वह किस चीज से बना है ,एक उछलते हुए पानी (gushing fluid) से बना है ,जो निकलती है रीढ़ और हंसली के बीच में से (issued from between loins and ribs)
    "يَخْرُجُ مِنْ بَيْنِ الصُّلْبِ وَالتَّرَائِبِ "
    issuing from between the loins [of man] and the pelvic arch [of woman]. (86:7)
    सूरा -अत तारिक 86:5 से 7 तक
    पूरी जानकारी के लिए देखिये ,विडिओ
    Quran 86:5-7 Sperm comes from backbone of man & ribs of woman

    http://www.youtube.com/watch?v=DtDp7mTnleA

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  23. वीर्य के बारे में सच्चाई
    विकीपीडया में वीर्य के बारे में इस प्रकार लिखा है ,"वीर्य एक जैविक तरल पदार्थ है, जिसे बीजीय या वीर्य तरल भी कहते हैं, जिसमे सामान्यतः शुक्राणु होते हैं. यह जननग्रन्थि (यौन ग्रंथियां) तथा नर अंगों द्वारा स्रावित होता है और मादा अंडाणु को निषेचित कर सकता है.
    (Semen, also known as seminal fluid, is an organic fluid that may contain spermatozoa. It is secreted by the gonads (sexual glands) and sexual organs of male , and can fertilize female ova.

    8-निष्कर्ष
    इन सभी तथ्यों से यह बातें सिद्ध होती हैं कि ,
    1.सभी मुसलमानों का स्वभाव एक जैसा होता है , जिसको सुधारना असंभव है .
    2.मुहम्मद को झूठ बोलने और लोगों को अंधविश्वासी बनाने की आदत थी .
    3.अल्लाह सर्वज्ञ नहीं , बल्कि महा मूर्ख है , उसे इतना भी ज्ञान नहीं कि वीर्य रीढ़ या हंसली में नहीं बल्कि पुरुष के अण्डकोश ( testicles ) में पैदा होता है .
    4.अंतिम और महत्त्वपूर्ण बात यह सिद्ध होती है कि मुसलमान जिस वीर्य से बनते हैं वह नकली है .और बनावटी है .क्योंकि वह गैर मुस्लिमों की तरह अंडकोष से नहीं किसी दूसरी जगह से बनाया जाता है .अर्थात defctive और duplicate है .
    यही कारण है कि सभी मुसलमान अपराधी और आतंकवादी होते हैं .इनको सुधारने की जगह नष्ट कर देना ही उचित होगा .


    http://quranspotlight.wordpress.com/articles/quran-hadith-talmud-galen/#_Toc317621440

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  24. लेखक महोदय कृपया अपने ब्लोग का Backgroun बदल लेँ । पढने मेँ असुविधा होती है ।।

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