मुहम्मद का ज़ाहिर और बातिन अर्थात कथनी और करनी मुलाहिज़ा हो - - -
मुहम्मद कालीन एक सहाबी अकबा अपने भाई साद को वसीअत करता है कि ज़िमा की लौंडी का बच्चा मेरे नुत्फे का है, जब वह पैदा हो तो तुम उसको लेलेना. फतह मक्का के बाद साद ने इस पर अपने भाई के वसीअत के मुताबिक दावा पेश किया मगर ज़िमा ने बच्चे को ये कहकर देने से इंकार कर दिया कि ये मेरे बाप की मातहती में पैदा हुआ है इस लिए ये मेरा भाई है. अल ग़रज़ मुआमला मुहम्मद तक पहुँचा. मुहम्मद ने फैसला दिया ''ज़िमा बच्चा तुम्हारा है क्यूंकि बच्चा उसी का होता है जिसके तहत अक़्द या मुल्क यमेन में पैदा हो, ज़ानी (दुराचारी) के लिए तो पत्थर हैं, गोकि बच्चे में अकबा की मुशाबेहत (हम शक्ल) ज़यादा थी. मुहम्मद ने अपनी दूसरी बीवी सौदा को इस बच्चे से परदा करने का हुक्म जारी कर दिया (जोकि रिश्ते में शायद उनका कुछ लगता रहा हो) जिस पर वह मरते दम तक कायम रहीं.
(हदीस सही बुखारी नंबर ९४० मार्फ़त आयशा)
इस बात से बज़ाहिर साबित होता है कि मुहम्मद कितने पाक बाज़ और चरित्रवान रहे होंगे। हालाँ कि साथ साथ इस हदीस में उनकी जेहालत साफ़ साफ़ अयाँ है कि एक मासूम से अपनी उम्र दराज़ बीवी की परदे दारी, ज़ाहिर है बच्चे को हराम मानते होंगे या उनकी अकली मेयार जो भी साबित करता हो. ऐसी ही हदीसों का गुणगान आलिमाने दीन आम मुसलामानों के सामने मुहम्मद की अजमतों की मीनार बना कर बयान किया करते हैं. इसे मुहम्मद अपने गढे हुए अल्लाह का कानून बतलाते हैं देखिए- - -
अल्लाह का कानून फरमाते हुए उसके खुद साख्ता रसूल कहते हैं ''जब कोई बक्र (कुँवारा) ज़िना करे बाक्रह (कुँवारी) के साथ तो उन दोनों को सौ सौ कोडे लगाओ और मुल्क बदर कर दो, इसके बाद अगर सय्यब (शादी शुदा) ज़िना करे सय्यबह (शादी शुदा) के साथ तो उन दोनों को सौ सौ कोडे लगा कर उन पर पत्थराव करके मार दो.''
''सही मुस्लिम किताबुल हुदूद''
अनस से हदीस है ''लोग तोहमत लगाते मुहम्मद के हरम को (यानी मुहम्मद की उम्मे वल्द लौंडी को) मुहम्मद ने हुक्म दिया अली को कि जाकर उस शख्स की गर्दन मार दो. अली जब वहाँ पहुंचे तो वह शख्स ठंडक के लिए कुंएं में नहा रहा था, सहारा देकर उसे जब अली ने बाहर निकला तो देखा उस का आज़ाए तानासुल (लिंग) कटा हवा है. अली ने सोंचा ये शख्स तो ज़ानी (दुराचारी) हो ही नहीं सकता (जैसा कि जानियों की सजा होती है, शायद रसूल अल्लाह को गलत फहमी हुई है )और उसे छोड़ दिया मगर मुहम्मद ने जाकर उसको क़त्ल कर दिया कि उनके हरम को बदनाम करने वाला वह ही शख्स आगे आगे था''
''सही मुस्लिम किताबुल-हुदूद''
मुहम्मद की एक लौंडी थी मारिया जो कि खुद अल्लाह के रसूल मुहम्मद ही ज़िना करी (दुराचार) से हामला हो गई थी, पूरे दिन हो रहे थे, खुल नहीं रहा था कि पेट किस का था. पैगम्बरी हरम की बदनामी हो रही थी, इसी सिलसिले में गरीब लिंग हीन का खून मज़्कूरह हुआ. समाजी तौर पर हरम की जवाब दही जब मुहम्मद पर आन पड़ी तो उन्हों ने अपना जुर्म कुबूल किया कि मारिया के पेट में पल रहा बच्चा मेरा है. मुहम्मद ने अपने लिए कोई सजा कोडे की न पथराव की तजवीज़ किया बल्कि निहायत बेगैरती के साथ उस बच्चे का अकीकः (मूडन) किया और बच्चे का नाम रखा इब्राहीम. इब्राहीम ढाई साल की उम्र में अल्लाह को प्यारा हो गया, समाज की औरतों ने ताना दिया ''बने फिरते हैं अल्लाह के रसूल, बुढापे में एक हरामी बेटा हुआ उसको भी मौत से बचा न सके.'' इन ज़नानी बातों का जवाब मुहम्मद के पास था कि बदले में उनके अल्लाह ने उनको जन्नत में हौज़ कौसर का निगरान बना दिया है। जवाब भी ज़नानो के अस्तर का कहा जा सकता है जो कुरान की सूरह ''सूरह-ए-कौसर'' है और मुसलमान इसे नमाजों में डेढ़ हज़ार सालों से दोहरा रहे हैं।
''बेशक हमने आप को कौसर अता फरमाई। सो आप अपने परवर दिगार की नमाजें पढी और कुर्बानी करिए. बिल यक़ीन आप का दुश्मन ही बे नाम निशान होगा. ॥
क़ुरआन ''सूरह-कौसर तीसवाँ पारा_आयत (१-२-३)''
मुहम्मद उस हौज़ में गालिबन मछली पालन करते होंगे और मुसलामानों को हौज़-ए-जेहालत में गोते खिलवा रहे हैं, ख्यालों में. मुहम्मद की ज़िन्दगी ऐसी बेराह रवी से भरी पड़ी है, आगे आगे देखते जाएँ। मारिया का हरामी बच्चा मुहम्मद को उतना ही प्यारा था जितना सगा होता है मगर सौदा के लिए हराम की औलाद से पर्दा? वाह. अपनी अय्यारियों का एतराफ कई बार वह खुद करते हैं मगर एक रूहानी मक्र के साथ। कहते हैं ---
''मेरे अगले और पिछले सारे गुनाह अल्लाह ने मुआफ कर दिया है।'' और मुसलमान इस बात पर यकीन भी करता है । कब इसे अकले सलीम आएगी?
निसार 'निसार-ए-ईमान'
वाह री ब्लागवाणी कैसे कैसे नालायकों को अपना मेम्बर बना रही है, यह नालाक तुझ पे नाज़ करें कम है, यह उनकी नालायक़ी ही तो है जो तेरा लाभ नहीं उठा पा रहे, कैरानवी को मेम्बरशिप दे फिर देख तमाशा, यह नया नालायक तो शब्दा गलत ghalat x galat x भी लिखना नहीं जानता, किया सोच के इसको दूध पिला रहे हो, कभी अलबेदार से निबटा था मैं अब तो मेरे पास अनुभव भी बढ गया,
ReplyDelete6 अल्लाह के चैलेंज सहित अनेक इस्लामिक पुस्तकें
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विचार करें कि मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध मैत्रे, अंतिम ऋषि (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्टा? हैं या यह big Game against Islam है?
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